तेरी जुस्तजू की है आरजू हो तू मुझ से रूबरू। है बस यही इल्तजा। तेरी जुस्तजू की है आरजू हो तू मुझ से रूबरू। है बस यही इल्तजा।
एक नया सूरज जागेेगा एक सुनहरा पल आएगा और एक अच्छा संंदेश लाएगाा। एक नया सूरज जागेेगा एक सुनहरा पल आएगा और एक अच्छा संंदेश लाएगाा।
कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है
वो दौर जब न कोई गम था,और न थी कोई बड़ी सी ख्वाहिशें। वो दौर जब न कोई गम था,और न थी कोई बड़ी सी ख्वाहिशें।
तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर ! तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर !
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।